रामायणम् — 2.108.17
Original
Segmented
अपक्षिपन्ति स्रुच्-भाण्डान् अग्नीन् सिञ्चन्ति वारिणा कलशांः च प्रमृद्नन्ति हवने समुपस्थिते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अपक्षिपन्ति | अपक्षिप् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
स्रुच् | स्रुच् | pos=n,comp=y |
भाण्डान् | भाण्ड | pos=n,g=m,c=2,n=p |
अग्नीन् | अग्नि | pos=n,g=m,c=2,n=p |
सिञ्चन्ति | सिच् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
वारिणा | वारि | pos=n,g=n,c=3,n=s |
कलशांः | कलश | pos=n,g=m,c=2,n=p |
च | च | pos=i |
प्रमृद्नन्ति | प्रमृद् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
हवने | हवन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
समुपस्थिते | समुपस्था | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part |