रामायणम् — 2.10.31
Original
Segmented
असंवृतायाम् आसीनो जगत्याम् दीर्घम् उच्छ्वसन् अहो धिग् इति सामर्षो वाचम् उक्त्वा मोहम् आपेदिवान् शोक-उपहत-चेतनः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
असंवृतायाम् | असंवृत | pos=a,g=f,c=7,n=s |
आसीनो | आस् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
जगत्याम् | जगती | pos=n,g=f,c=7,n=s |
दीर्घम् | दीर्घ | pos=a,g=n,c=2,n=s |
उच्छ्वसन् | उच्छ्वस् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
अहो | अहो | pos=i |
धिग् | इति | pos=i |
इति | सामर्ष | pos=a,g=m,c=1,n=s |
सामर्षो | वाच् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
वाचम् | वच् | pos=vi |
उक्त्वा | नराधिप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मोहम् | मोह | pos=n,g=m,c=2,n=s |
आपेदिवान् | भूयस् | pos=i |
शोक | शोक | pos=n,comp=y |
उपहत | उपहन् | pos=va,comp=y,f=part |
चेतनः | चेतना | pos=n,g=m,c=1,n=s |