रामायणम् — 1.9.7
Original
Segmented
वारमुख्यास् तु तच् छ्रुत्वा वनम् प्रविविशुः महत् आश्रमस्य अविदूरे ऽस्मिन् यत्नम् कुर्वन्ति दर्शने ऋषि-पुत्रस्य घोरस्य नित्यम् आश्रम-वासिनः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वारमुख्यास् | वारमुख्या | pos=n,g=f,c=1,n=p |
तु | तु | pos=i |
तच् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
छ्रुत्वा | श्रु | pos=vi |
वनम् | वन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्रविविशुः | प्रविश् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
महत् | महत् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
आश्रमस्य | आश्रम | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अविदूरे | अविदूर | pos=n,g=n,c=7,n=s |
ऽस्मिन् | इदम् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
यत्नम् | यत्न | pos=n,g=m,c=2,n=s |
कुर्वन्ति | कृ | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
दर्शने | दर्शन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
ऋषि | ऋषि | pos=n,comp=y |
पुत्रस्य | पुत्र | pos=n,g=m,c=6,n=s |
घोरस्य | घोर | pos=a,g=m,c=6,n=s |
नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
आश्रम | आश्रम | pos=n,comp=y |
वासिनः | वासिन् | pos=a,g=m,c=6,n=s |