Original

मन्त्रिश्रेष्ठवचः श्रुत्वा राजा सर्षिगणस्तदा ।सबन्धुरगमत्तत्र जनको यत्र वर्तते ॥ १२ ॥

Segmented

मन्त्रि-श्रेष्ठ-वचः श्रुत्वा राजा स ऋषि-गणः तदा स बन्धुः अगमत् तत्र जनको यत्र वर्तते

Analysis

Word Lemma Parse
मन्त्रि मन्त्रिन् pos=n,comp=y
श्रेष्ठ श्रेष्ठ pos=a,comp=y
वचः वचस् pos=n,g=n,c=2,n=s
श्रुत्वा श्रु pos=vi
राजा राजन् pos=n,g=m,c=1,n=s
pos=i
ऋषि ऋषि pos=n,comp=y
गणः गण pos=n,g=m,c=1,n=s
तदा तदा pos=i
pos=i
बन्धुः बन्धु pos=n,g=m,c=1,n=s
अगमत् गम् pos=v,p=3,n=s,l=lun
तत्र तत्र pos=i
जनको जनक pos=n,g=m,c=1,n=s
यत्र यत्र pos=i
वर्तते वृत् pos=v,p=3,n=s,l=lat