रामायणम् — 1.54.27
Original
Segmented
आश्रमम् चिर-संवृद्धम् यद् विनाशितवान् असि दुराचारो ऽसि यन् मूढ तस्मात् त्वम् न भविष्यसि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
आश्रमम् | आश्रम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
चिर | चिर | pos=a,comp=y |
संवृद्धम् | संवृध् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
यद् | यत् | pos=i |
विनाशितवान् | विनाशय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
असि | अस् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
दुराचारो | दुराचार | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ऽसि | अस् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
यन् | यत् | pos=i |
मूढ | मुह् | pos=va,g=m,c=8,n=s,f=part |
तस्मात् | तस्मात् | pos=i |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
भविष्यसि | भू | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |