Original

परित्यक्ता वसिष्ठेन किमहं सुमहात्मना ।याहं राजभृतैर्दीना ह्रियेयं भृशदुःखिता ॥ ३ ॥

Segmented

परित्यक्ता वसिष्ठेन किम् अहम् सु महात्मना या अहम् राजभृतैः दीना भृश-दुःखिता

Analysis

Word Lemma Parse
परित्यक्ता परित्यज् pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
वसिष्ठेन वसिष्ठ pos=n,g=m,c=3,n=s
किम् pos=n,g=n,c=2,n=s
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
सु सु pos=i
महात्मना महात्मन् pos=a,g=m,c=3,n=s
या यद् pos=n,g=f,c=1,n=s
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
राजभृतैः राजभृत pos=n,g=m,c=3,n=p
दीना दीन pos=a,g=f,c=1,n=s
भृश भृश pos=a,comp=y
दुःखिता दुःखित pos=a,g=f,c=1,n=s