रामायणम् — 1.39.26
Original
Segmented
अस्माकम् त्वम् हि तुरगम् यज्ञियम् हृतवान् असि दुर्मेधस् त्वम् हि सम्प्राप्तान् विद्धि नः सगर-आत्मजान्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अस्माकम् | मद् | pos=n,g=,c=6,n=p |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
हि | हि | pos=i |
तुरगम् | तुरग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
यज्ञियम् | यज्ञिय | pos=a,g=m,c=2,n=s |
हृतवान् | हृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
असि | अस् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
दुर्मेधस् | दुर्मेध | pos=a,g=m,c=1,n=s |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
हि | हि | pos=i |
सम्प्राप्तान् | सम्प्राप् | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
विद्धि | विद् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
नः | मद् | pos=n,g=,c=2,n=p |
सगर | सगर | pos=n,comp=y |
आत्मजान् | आत्मज | pos=n,g=m,c=2,n=p |