Original

स त्वं सुरहितार्थाय मायायोगमुपाश्रितः ।वामनत्वं गतो विष्णो कुरु कल्याणमुत्तमम् ॥ ७ ॥

Segmented

स त्वम् सुर-हित-अर्थाय माया-योगम् उपाश्रितः वामन-त्वम् गतो विष्णो कुरु कल्याणम् उत्तमम्

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
सुर सुर pos=n,comp=y
हित हित pos=n,comp=y
अर्थाय अर्थ pos=n,g=m,c=4,n=s
माया माया pos=n,comp=y
योगम् योग pos=n,g=m,c=2,n=s
उपाश्रितः उपाश्रि pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
वामन वामन pos=n,comp=y
त्वम् त्व pos=n,g=n,c=2,n=s
गतो गम् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
विष्णो विष्णु pos=n,g=m,c=8,n=s
कुरु कृ pos=v,p=2,n=s,l=lot
कल्याणम् कल्याण pos=n,g=n,c=2,n=s
उत्तमम् उत्तम pos=a,g=n,c=2,n=s