रामायणम् — 1.25.5
Original
Segmented
गो ब्राह्मण-हित-अर्थाय देशस्य अस्य सुखाय च तव च एव अप्रमेयस्य वचनम् कर्तुम् उद्यतः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
गो | गो | pos=i |
ब्राह्मण | ब्राह्मण | pos=n,comp=y |
हित | हित | pos=n,comp=y |
अर्थाय | अर्थ | pos=n,g=m,c=4,n=s |
देशस्य | देश | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
सुखाय | सुख | pos=n,g=n,c=4,n=s |
च | च | pos=i |
तव | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
च | च | pos=i |
एव | एव | pos=i |
अप्रमेयस्य | अप्रमेय | pos=a,g=m,c=6,n=s |
वचनम् | वचन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
कर्तुम् | कृ | pos=vi |
उद्यतः | उद्यम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |