रामायणम् — 1.24.14
Original
Segmented
न ह्य् एनाम् शाप-संसृष्टाम् कश्चिद् उत्सहते पुमान् निहन्तुम् त्रिषु लोकेषु त्वाम् ऋते रघुनन्दन
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
न | न | pos=i |
ह्य् | हि | pos=i |
एनाम् | एनद् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
शाप | शाप | pos=n,comp=y |
संसृष्टाम् | संसृज् | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
कश्चिद् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उत्सहते | उत्सह् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
पुमान् | पुंस् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
निहन्तुम् | निहन् | pos=vi |
त्रिषु | त्रि | pos=n,g=m,c=7,n=p |
लोकेषु | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=p |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
ऋते | ऋते | pos=i |
रघुनन्दन | रघुनन्दन | pos=n,g=m,c=8,n=s |