महाभारतम् — 9.42.27
Original
Segmented
जनमेजय उवाच किमर्थम् भगवाञ् शक्रो ब्रह्म-हत्याम् अवाप्तवान् कथम् अस्मिन् च तीर्थे वै आप्लुत्य अकल्मषः ऽभवत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
जनमेजय | जनमेजय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
किमर्थम् | किमर्थम् | pos=i |
भगवाञ् | भगवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
शक्रो | शक्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,comp=y |
हत्याम् | हत्या | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अवाप्तवान् | अवाप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
कथम् | कथम् | pos=i |
अस्मिन् | इदम् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
तीर्थे | तीर्थ | pos=n,g=n,c=7,n=s |
वै | वै | pos=i |
आप्लुत्य | आप्लु | pos=vi |
अकल्मषः | अकल्मष | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ऽभवत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lan |