Original

क्रियाभ्युपायैर्बहुलैर्मायामप्सु प्रयोज्य ह ।जहि त्वं भरतश्रेष्ठ पापात्मानं सुयोधनम् ॥ ७ ॥

Segmented

क्रिया-अभ्युपायैः बहुलैः मायाम् अप्सु प्रयोज्य ह जहि त्वम् भरत-श्रेष्ठ पाप-आत्मानम् सुयोधनम्

Analysis

Word Lemma Parse
क्रिया क्रिया pos=n,comp=y
अभ्युपायैः अभ्युपाय pos=n,g=m,c=3,n=p
बहुलैः बहुल pos=a,g=m,c=3,n=p
मायाम् माया pos=n,g=f,c=2,n=s
अप्सु अप् pos=n,g=m,c=7,n=p
प्रयोज्य प्रयोजय् pos=vi
pos=i
जहि हा pos=v,p=2,n=s,l=lot
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
भरत भरत pos=n,comp=y
श्रेष्ठ श्रेष्ठ pos=a,g=m,c=8,n=s
पाप पाप pos=a,comp=y
आत्मानम् आत्मन् pos=n,g=m,c=2,n=s
सुयोधनम् सुयोधन pos=n,g=m,c=2,n=s