महाभारतम् — 9.16.36
Original
Segmented
गोविन्द-वाक्यम् त्वरितम् विचिन्त्य दध्रे मतिम् शल्य-विनाशनाय स धर्मराजो निहत-अश्व-सूते रथे तिष्ठञ् शक्तिम् एव अभिकाङ्क्षमाणः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
गोविन्द | गोविन्द | pos=n,comp=y |
वाक्यम् | वाक्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
त्वरितम् | त्वरितम् | pos=i |
विचिन्त्य | विचिन्तय् | pos=vi |
दध्रे | धृ | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
मतिम् | मति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
शल्य | शल्य | pos=n,comp=y |
विनाशनाय | विनाशन | pos=n,g=n,c=4,n=s |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
धर्मराजो | धर्मराज | pos=n,g=m,c=1,n=s |
निहत | निहन् | pos=va,comp=y,f=part |
अश्व | अश्व | pos=n,comp=y |
सूते | सूत | pos=n,g=m,c=7,n=s |
रथे | रथ | pos=n,g=m,c=7,n=s |
तिष्ठञ् | स्था | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
शक्तिम् | शक्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
एव | एव | pos=i |
अभिकाङ्क्षमाणः | अभिकाङ्क्ष् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |