Original

स धर्मराजो निहताश्वसूतं क्रोधेन दीप्तज्वलनप्रकाशम् ।दृष्ट्वा तु मद्राधिपतिं स तूर्णं समभ्यधावत्तमरिं बलेन ॥ ३५ ॥

Segmented

स धर्मराजो निहत-अश्व-सूतम् क्रोधेन दीप्त-ज्वलन-प्रकाशम् दृष्ट्वा तु मद्र-अधिपतिम् स तूर्णम् समभ्यधावत् तम् अरिम् बलेन

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
धर्मराजो धर्मराज pos=n,g=m,c=1,n=s
निहत निहन् pos=va,comp=y,f=part
अश्व अश्व pos=n,comp=y
सूतम् सूत pos=n,g=m,c=2,n=s
क्रोधेन क्रोध pos=n,g=m,c=3,n=s
दीप्त दीप् pos=va,comp=y,f=part
ज्वलन ज्वलन pos=n,comp=y
प्रकाशम् प्रकाश pos=n,g=m,c=2,n=s
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
तु तु pos=i
मद्र मद्र pos=n,comp=y
अधिपतिम् अधिपति pos=n,g=m,c=2,n=s
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
तूर्णम् तूर्णम् pos=i
समभ्यधावत् समभिधाव् pos=v,p=3,n=s,l=lan
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
अरिम् अरि pos=n,g=m,c=2,n=s
बलेन बल pos=n,g=n,c=3,n=s