Original

त्रासनीं रिपुसैन्यानां स्वसैन्यपरिहर्षिणीम् ।मनुष्यलोके विख्यातां गिरिशृङ्गविदारिणीम् ॥ ४७ ॥

Segmented

त्रासनीम् रिपु-सैन्यानाम् स्व-सैन्य-परिहर्षिन् मनुष्य-लोके विख्याताम् गिरि-शृङ्ग-विदारिन्

Analysis

Word Lemma Parse
त्रासनीम् त्रासन pos=a,g=f,c=2,n=s
रिपु रिपु pos=n,comp=y
सैन्यानाम् सैन्य pos=n,g=n,c=6,n=p
स्व स्व pos=a,comp=y
सैन्य सैन्य pos=n,comp=y
परिहर्षिन् परिहर्षिन् pos=a,g=f,c=2,n=s
मनुष्य मनुष्य pos=n,comp=y
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
विख्याताम् विख्या pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
गिरि गिरि pos=n,comp=y
शृङ्ग शृङ्ग pos=n,comp=y
विदारिन् विदारिन् pos=a,g=f,c=2,n=s