Original

यद्दर्पपूर्णः स सुयोधनोऽस्मानवेक्षते कर्णसमाश्रयेण ।कच्चित्त्वया सोऽद्य समाश्रयोऽस्य भग्नः पराक्रम्य सुयोधनस्य ॥ ४४ ॥

Segmented

यद् दर्प-पूर्णः स सुयोधनो ऽस्मान् अवेक्षते कर्ण-समाश्रयेन कच्चित् त्वया सो ऽद्य समाश्रयो ऽस्य भग्नः पराक्रम्य सुयोधनस्य

Analysis

Word Lemma Parse
यद् यत् pos=i
दर्प दर्प pos=n,comp=y
पूर्णः पृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
सुयोधनो सुयोधन pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽस्मान् मद् pos=n,g=m,c=2,n=p
अवेक्षते अवेक्ष् pos=v,p=3,n=s,l=lat
कर्ण कर्ण pos=n,comp=y
समाश्रयेन समाश्रय pos=n,g=m,c=3,n=s
कच्चित् कच्चित् pos=i
त्वया त्वद् pos=n,g=,c=3,n=s
सो तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽद्य अद्य pos=i
समाश्रयो समाश्रय pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽस्य इदम् pos=n,g=m,c=6,n=s
भग्नः भञ्ज् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
पराक्रम्य पराक्रम् pos=vi
सुयोधनस्य सुयोधन pos=n,g=m,c=6,n=s