Original

यानुद्दिश्य रणे पार्थः पदबन्धं चकार ह ।ते बद्धाः पदबन्धेन पाण्डवेन महात्मना ।निश्चेष्टा अभवन्राजन्नश्मसारमया इव ॥ २२ ॥

Segmented

यान् उद्दिश्य रणे पार्थः पद-बन्धम् चकार ह ते बद्धाः पद-बन्धेन पाण्डवेन महात्मना निश्चेष्टा अभवन् राजन्न् अश्मसार-मयाः इव

Analysis

Word Lemma Parse
यान् यद् pos=n,g=m,c=2,n=p
उद्दिश्य उद्दिश् pos=vi
रणे रण pos=n,g=m,c=7,n=s
पार्थः पार्थ pos=n,g=m,c=1,n=s
पद पद pos=n,comp=y
बन्धम् बन्ध pos=n,g=m,c=2,n=s
चकार कृ pos=v,p=3,n=s,l=lit
pos=i
ते तद् pos=n,g=m,c=1,n=p
बद्धाः बन्ध् pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part
पद पद pos=n,comp=y
बन्धेन बन्ध pos=n,g=m,c=3,n=s
पाण्डवेन पाण्डव pos=n,g=m,c=3,n=s
महात्मना महात्मन् pos=a,g=m,c=3,n=s
निश्चेष्टा निश्चेष्ट pos=a,g=m,c=1,n=p
अभवन् भू pos=v,p=3,n=p,l=lan
राजन्न् राजन् pos=n,g=m,c=8,n=s
अश्मसार अश्मसार pos=n,comp=y
मयाः मय pos=a,g=m,c=1,n=p
इव इव pos=i