Original

संपातं चान्वपश्याम संग्रामे भृशदारुणे ।शलभा इव संपेतुः समन्ताच्छरवृष्टयः ॥ ४ ॥

Segmented

संपातम् च अन्वपश्याम संग्रामे भृश-दारुणे शलभा इव संपेतुः समन्तात् शर-वृष्टयः

Analysis

Word Lemma Parse
संपातम् सम्पात pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
अन्वपश्याम अनुपश् pos=v,p=1,n=p,l=lan
संग्रामे संग्राम pos=n,g=m,c=7,n=s
भृश भृश pos=a,comp=y
दारुणे दारुण pos=a,g=m,c=7,n=s
शलभा शलभ pos=n,g=m,c=1,n=p
इव इव pos=i
संपेतुः सम्पत् pos=v,p=3,n=p,l=lit
समन्तात् समन्तात् pos=i
शर शर pos=n,comp=y
वृष्टयः वृष्टि pos=n,g=f,c=1,n=p