महाभारतम् — 8.32.25
Original
Segmented
संजय उवाच धृष्टद्युम्न-मुखान् पार्थान् दृष्ट्वा कर्णो व्यवस्थितान् समभ्यधावत् त्वरितः पाञ्चालाञ् शत्रु-कर्शनः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
संजय | संजय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
धृष्टद्युम्न | धृष्टद्युम्न | pos=n,comp=y |
मुखान् | मुख | pos=n,g=m,c=2,n=p |
पार्थान् | पार्थ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
दृष्ट्वा | दृश् | pos=vi |
कर्णो | कर्ण | pos=n,g=m,c=1,n=s |
व्यवस्थितान् | व्यवस्था | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
समभ्यधावत् | समभिधाव् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
त्वरितः | त्वर् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
पाञ्चालाञ् | पाञ्चाल | pos=n,g=m,c=2,n=p |
शत्रु | शत्रु | pos=n,comp=y |
कर्शनः | कर्शन | pos=a,g=m,c=1,n=s |