महाभारतम् — 8.27.32
Original
Segmented
यदा दिव्यम् धनुः आदाय पार्थः प्रभासयन् पृतनाम् सव्यसाची त्वाम् अर्दयेत निशितैः पृषत्कैस् तदा पश्चात् तप्स्यसे सूतपुत्र
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
दिव्यम् | दिव्य | pos=a,g=n,c=2,n=s |
धनुः | धनुस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आदाय | आदा | pos=vi |
पार्थः | पार्थ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
प्रभासयन् | प्रभासय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
पृतनाम् | पृतना | pos=n,g=f,c=2,n=s |
सव्यसाची | सव्यसाचिन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
अर्दयेत | अर्दय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
निशितैः | निशा | pos=va,g=m,c=3,n=p,f=part |
पृषत्कैस् | पृषत्क | pos=n,g=m,c=3,n=p |
तदा | तदा | pos=i |
पश्चात् | पश्चात् | pos=i |
तप्स्यसे | तप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
सूतपुत्र | सूतपुत्र | pos=n,g=m,c=8,n=s |