Original

क्रोधेन महताविष्टः सविषो भुजगो यथा ।दुर्योधनस्तु दृष्ट्वा वै धर्मराजं युधिष्ठिरम् ।उवाच सूत त्वरितं याहि याहीति भारत ॥ ६ ॥

Segmented

क्रोधेन महता आविष्टः स विषः भुजगो यथा दुर्योधनस् तु दृष्ट्वा वै धर्मराजम् युधिष्ठिरम् उवाच सूत त्वरितम् याहि याहि इति भारत

Analysis

Word Lemma Parse
क्रोधेन क्रोध pos=n,g=m,c=3,n=s
महता महत् pos=a,g=m,c=3,n=s
आविष्टः आविश् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
pos=i
विषः विष pos=n,g=m,c=1,n=s
भुजगो भुजग pos=n,g=m,c=1,n=s
यथा यथा pos=i
दुर्योधनस् दुर्योधन pos=n,g=m,c=1,n=s
तु तु pos=i
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
वै वै pos=i
धर्मराजम् धर्मराज pos=n,g=m,c=2,n=s
युधिष्ठिरम् युधिष्ठिर pos=n,g=m,c=2,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
सूत सूत pos=n,g=m,c=8,n=s
त्वरितम् त्वरितम् pos=i
याहि या pos=v,p=2,n=s,l=lot
याहि या pos=v,p=2,n=s,l=lot
इति इति pos=i
भारत भारत pos=n,g=m,c=8,n=s