महाभारतम् — 8.13.6
Original
Segmented
सु कल्पितम् दानव-नाग-संनिभम् महा-अभ्र-संह्रादम् अमित्र-मर्दनम् रथ-अश्व-मातङ्ग-गणान् सहस्रशः समास्थितो हन्ति शरैः द्विपान् अपि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सु | सु | pos=i |
कल्पितम् | कल्पय् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
दानव | दानव | pos=n,comp=y |
नाग | नाग | pos=n,comp=y |
संनिभम् | संनिभ | pos=a,g=m,c=2,n=s |
महा | महत् | pos=a,comp=y |
अभ्र | अभ्र | pos=n,comp=y |
संह्रादम् | संह्राद | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अमित्र | अमित्र | pos=n,comp=y |
मर्दनम् | मर्दन | pos=a,g=m,c=2,n=s |
रथ | रथ | pos=n,comp=y |
अश्व | अश्व | pos=n,comp=y |
मातङ्ग | मातंग | pos=n,comp=y |
गणान् | गण | pos=n,g=m,c=2,n=p |
सहस्रशः | सहस्रशस् | pos=i |
समास्थितो | समास्था | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
हन्ति | हन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
शरैः | शर | pos=n,g=m,c=3,n=p |
द्विपान् | द्विप | pos=n,g=m,c=2,n=p |
अपि | अपि | pos=i |