Original

क्षते क्षारं स हि ददौ पाण्डवस्य महात्मनः ।पार्थोऽपि भृशसंविद्धो ध्वजयष्टिं समाश्रितः ॥ १४ ॥

Segmented

क्षते क्षारम् स हि ददौ पाण्डवस्य महात्मनः पार्थो ऽपि भृश-संविद्धः ध्वज-यष्टिम् समाश्रितः

Analysis

Word Lemma Parse
क्षते क्षत pos=n,g=n,c=7,n=s
क्षारम् क्षार pos=n,g=m,c=2,n=s
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
हि हि pos=i
ददौ दा pos=v,p=3,n=s,l=lit
पाण्डवस्य पाण्डव pos=n,g=m,c=6,n=s
महात्मनः महात्मन् pos=a,g=m,c=6,n=s
पार्थो पार्थ pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽपि अपि pos=i
भृश भृश pos=a,comp=y
संविद्धः संव्यध् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
ध्वज ध्वज pos=n,comp=y
यष्टिम् यष्टि pos=n,g=f,c=2,n=s
समाश्रितः समाश्रि pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part