Original

श्वो निरीक्षन्तु मे वीर्यं त्रयो लोका महाहवे ।धनंजयार्थं समरे पराक्रान्तस्य दारुक ॥ २६ ॥

Segmented

श्वो निरीक्षन्तु मे वीर्यम् त्रयो लोका महा-आहवे धनञ्जय-अर्थम् समरे पराक्रान्तस्य दारुक

Analysis

Word Lemma Parse
श्वो श्वस् pos=i
निरीक्षन्तु निरीक्ष् pos=v,p=3,n=p,l=lot
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
वीर्यम् वीर्य pos=n,g=n,c=2,n=s
त्रयो त्रि pos=n,g=m,c=1,n=p
लोका लोक pos=n,g=m,c=1,n=p
महा महत् pos=a,comp=y
आहवे आहव pos=n,g=m,c=7,n=s
धनञ्जय धनंजय pos=n,comp=y
अर्थम् अर्थ pos=n,g=m,c=2,n=s
समरे समर pos=n,g=n,c=7,n=s
पराक्रान्तस्य पराक्रम् pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part
दारुक दारुक pos=n,g=m,c=8,n=s