Original

द्रोणानीकमसंबाधं मम प्रियचिकीर्षया ।भित्त्वा व्यूहं प्रविष्टोऽसौ गोमध्यमिव केसरी ॥ ४ ॥

Segmented

द्रोण-अनीकम् असंबाधम् मम प्रिय-चिकीर्षया भित्त्वा व्यूहम् प्रविष्टो ऽसौ गो मध्यम् इव केसरी

Analysis

Word Lemma Parse
द्रोण द्रोण pos=n,comp=y
अनीकम् अनीक pos=n,g=n,c=2,n=s
असंबाधम् असंबाध pos=a,g=n,c=2,n=s
मम मद् pos=n,g=,c=6,n=s
प्रिय प्रिय pos=n,comp=y
चिकीर्षया चिकीर्षा pos=n,g=f,c=3,n=s
भित्त्वा भिद् pos=vi
व्यूहम् व्यूह pos=n,g=m,c=2,n=s
प्रविष्टो प्रविश् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
ऽसौ अदस् pos=n,g=m,c=1,n=s
गो गो pos=i
मध्यम् मध्य pos=n,g=n,c=2,n=s
इव इव pos=i
केसरी केसरिन् pos=n,g=m,c=1,n=s