Original

पार्षतः शरजालेन क्षिप्रं प्रच्छाद्य दुर्मुखम् ।भारद्वाजं शरौघेण महता समवारयत् ॥ २९ ॥

Segmented

पार्षतः शर-जालेन क्षिप्रम् प्रच्छाद्य दुर्मुखम् भारद्वाजम् शर-ओघेन महता समवारयत्

Analysis

Word Lemma Parse
पार्षतः पार्षत pos=n,g=m,c=1,n=s
शर शर pos=n,comp=y
जालेन जाल pos=n,g=n,c=3,n=s
क्षिप्रम् क्षिप्रम् pos=i
प्रच्छाद्य प्रच्छादय् pos=vi
दुर्मुखम् दुर्मुख pos=n,g=m,c=2,n=s
भारद्वाजम् भारद्वाज pos=n,g=m,c=2,n=s
शर शर pos=n,comp=y
ओघेन ओघ pos=n,g=m,c=3,n=s
महता महत् pos=a,g=m,c=3,n=s
समवारयत् संवारय् pos=v,p=3,n=s,l=lan