Original

हार्दिक्यशरसंछिन्नं कवचं तन्महात्मनः ।व्यशीर्यत रणे राजंस्ताराजालमिवाम्बरात् ॥ ३९ ॥

Segmented

हार्दिक्य-शर-संछिन्नम् कवचम् तत् महात्मनः व्यशीर्यत रणे राजन् तारा-जालम् इव अम्बरात्

Analysis

Word Lemma Parse
हार्दिक्य हार्दिक्य pos=n,comp=y
शर शर pos=n,comp=y
संछिन्नम् संछिद् pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
कवचम् कवच pos=n,g=n,c=1,n=s
तत् तद् pos=n,g=n,c=1,n=s
महात्मनः महात्मन् pos=a,g=m,c=6,n=s
व्यशीर्यत विशृ pos=v,p=3,n=s,l=lan
रणे रण pos=n,g=m,c=7,n=s
राजन् राजन् pos=n,g=m,c=8,n=s
तारा तारा pos=n,comp=y
जालम् जाल pos=n,g=n,c=1,n=s
इव इव pos=i
अम्बरात् अम्बर pos=n,g=n,c=5,n=s