Original

कृप उवाच ।मनोरथप्रलापो मे न ग्राह्यस्तव सूतज ।यदा क्षिपसि वै कृष्णौ धर्मराजं च पाण्डवम् ॥ ३२ ॥

Segmented

कृप उवाच मनोरथ-प्रलापः मे न ग्राह्यः ते सूतज यदा क्षिपसि वै कृष्णौ धर्मराजम् च पाण्डवम्

Analysis

Word Lemma Parse
कृप कृप pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
मनोरथ मनोरथ pos=n,comp=y
प्रलापः प्रलाप pos=n,g=m,c=1,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
pos=i
ग्राह्यः ग्रह् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya
ते त्वद् pos=n,g=,c=6,n=s
सूतज सूतज pos=n,g=m,c=8,n=s
यदा यदा pos=i
क्षिपसि क्षिप् pos=v,p=2,n=s,l=lat
वै वै pos=i
कृष्णौ कृष्ण pos=n,g=m,c=2,n=d
धर्मराजम् धर्मराज pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
पाण्डवम् पाण्डव pos=n,g=m,c=2,n=s