महाभारतम् — 7.133.32
Original
Segmented
कृप उवाच मनोरथ-प्रलापः मे न ग्राह्यः ते सूतज यदा क्षिपसि वै कृष्णौ धर्मराजम् च पाण्डवम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
कृप | कृप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
मनोरथ | मनोरथ | pos=n,comp=y |
प्रलापः | प्रलाप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
न | न | pos=i |
ग्राह्यः | ग्रह् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
सूतज | सूतज | pos=n,g=m,c=8,n=s |
यदा | यदा | pos=i |
क्षिपसि | क्षिप् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
वै | वै | pos=i |
कृष्णौ | कृष्ण | pos=n,g=m,c=2,n=d |
धर्मराजम् | धर्मराज | pos=n,g=m,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
पाण्डवम् | पाण्डव | pos=n,g=m,c=2,n=s |