Original

स दग्ध्वाक्षौहिणीं बाणैर्नैरृतान्रुरुचे भृशम् ।पुरेव त्रिपुरं दग्ध्वा दिवि देवो महेश्वरः ॥ ९८ ॥

Segmented

स दग्ध्वा अक्षौहिणीम् बाणैः नैरृतान् रुरुचे भृशम् पुरा इव त्रिपुरम् दग्ध्वा दिवि देवो महेश्वरः

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
दग्ध्वा दह् pos=vi
अक्षौहिणीम् अक्षौहिणी pos=n,g=f,c=2,n=s
बाणैः बाण pos=n,g=m,c=3,n=p
नैरृतान् नैरृत pos=n,g=m,c=2,n=p
रुरुचे रुच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
भृशम् भृशम् pos=i
पुरा पुरा pos=i
इव इव pos=i
त्रिपुरम् त्रिपुर pos=n,g=n,c=2,n=s
दग्ध्वा दह् pos=vi
दिवि दिव् pos=n,g=,c=7,n=s
देवो देव pos=n,g=m,c=1,n=s
महेश्वरः महेश्वर pos=n,g=m,c=1,n=s