Original

कच्चित्तीर्णप्रतिज्ञं हि वासुदेवेन रक्षितम् ।अनस्तमित आदित्ये समेष्याम्यहमर्जुनम् ॥ ४३ ॥

Segmented

कच्चित् तीर्ण-प्रतिज्ञम् हि वासुदेवेन रक्षितम् अनस्तमित आदित्ये समेष्यामि अहम् अर्जुनम्

Analysis

Word Lemma Parse
कच्चित् कच्चित् pos=i
तीर्ण तृ pos=va,comp=y,f=part
प्रतिज्ञम् प्रतिज्ञा pos=n,g=m,c=2,n=s
हि हि pos=i
वासुदेवेन वासुदेव pos=n,g=m,c=3,n=s
रक्षितम् रक्ष् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
अनस्तमित अनस्तमित pos=a,g=m,c=7,n=s
आदित्ये आदित्य pos=n,g=m,c=7,n=s
समेष्यामि समि pos=v,p=1,n=s,l=lrt
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
अर्जुनम् अर्जुन pos=n,g=m,c=2,n=s