Original

मानुषं लोकमातिष्ठ वासुदेव इति श्रुतः ।असुराणां वधार्थाय संभवस्व महीतले ॥ ८ ॥

Segmented

मानुषम् लोकम् आतिष्ठ वासुदेव इति श्रुतः असुराणाम् वध-अर्थाय संभवस्व मही-तले

Analysis

Word Lemma Parse
मानुषम् मानुष pos=a,g=m,c=2,n=s
लोकम् लोक pos=n,g=m,c=2,n=s
आतिष्ठ आस्था pos=v,p=2,n=s,l=lot
वासुदेव वासुदेव pos=n,g=m,c=8,n=s
इति इति pos=i
श्रुतः श्रु pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
असुराणाम् असुर pos=n,g=m,c=6,n=p
वध वध pos=n,comp=y
अर्थाय अर्थ pos=n,g=m,c=4,n=s
संभवस्व सम्भू pos=v,p=2,n=s,l=lot
मही मही pos=n,comp=y
तले तल pos=n,g=n,c=7,n=s