Original

एह्येहि देवेश जगन्निवास नमोऽस्तु ते शार्ङ्गरथाङ्गपाणे ।प्रसह्य मां पातय लोकनाथ रथोत्तमाद्भूतशरण्य संख्ये ॥ ९४ ॥

Segmented

एहि एहि देवेश जगन्निवास नमो ऽस्तु ते शार्ङ्ग-रथाङ्ग-पाणे प्रसह्य माम् पातय लोकनाथ रथ-उत्तमात् भूत-शरण्यैः संख्ये

Analysis

Word Lemma Parse
एहि pos=v,p=2,n=s,l=lot
एहि pos=v,p=2,n=s,l=lot
देवेश देवेश pos=n,g=m,c=8,n=s
जगन्निवास जगन्निवास pos=n,g=m,c=8,n=s
नमो नमस् pos=n,g=n,c=1,n=s
ऽस्तु अस् pos=v,p=3,n=s,l=lot
ते त्वद् pos=n,g=,c=4,n=s
शार्ङ्ग शार्ङ्ग pos=n,comp=y
रथाङ्ग रथाङ्ग pos=n,comp=y
पाणे पाणि pos=n,g=m,c=8,n=s
प्रसह्य प्रसह् pos=vi
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
पातय पातय् pos=v,p=2,n=s,l=lot
लोकनाथ लोकनाथ pos=n,g=m,c=8,n=s
रथ रथ pos=n,comp=y
उत्तमात् उत्तम pos=a,g=m,c=5,n=s
भूत भूत pos=n,comp=y
शरण्यैः शरण्य pos=a,g=m,c=8,n=s
संख्ये संख्य pos=n,g=n,c=7,n=s