महाभारतम् — 6.22.17
Original
Segmented
धृतराष्ट्र उवाच केषाम् प्रहृष्टाः तत्र अग्रे योधा युध्यन्ति संजय उदग्र-मनसः के ऽत्र के वा दीना विचेतसः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
धृतराष्ट्र | धृतराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
केषाम् | क | pos=n,g=m,c=6,n=p |
प्रहृष्टाः | प्रहृष् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
तत्र | तत्र | pos=i |
अग्रे | अग्र | pos=n,g=n,c=7,n=s |
योधा | योध | pos=n,g=m,c=1,n=p |
युध्यन्ति | युध् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |
उदग्र | उदग्र | pos=a,comp=y |
मनसः | मनस् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
के | क | pos=n,g=m,c=1,n=p |
ऽत्र | अत्र | pos=i |
के | क | pos=n,g=m,c=1,n=p |
वा | वा | pos=i |
दीना | दीन | pos=a,g=m,c=1,n=p |
विचेतसः | विचेतस् | pos=a,g=m,c=1,n=p |