Original

पराश्रया वासुदेव या जीवामि धिगस्तु माम् ।वृत्तेः कृपणलब्धाया अप्रतिष्ठैव ज्यायसी ॥ ७३ ॥

Segmented

पर-आश्रया वासुदेव या जीवामि धिग् अस्तु माम् वृत्तेः कृपण-लब्धायाः अप्रतिष्ठा एव ज्यायसी

Analysis

Word Lemma Parse
पर पर pos=n,comp=y
आश्रया आश्रय pos=n,g=f,c=1,n=s
वासुदेव वासुदेव pos=n,g=m,c=8,n=s
या यद् pos=n,g=f,c=1,n=s
जीवामि जीव् pos=v,p=1,n=s,l=lat
धिग् धिक् pos=i
अस्तु अस् pos=v,p=3,n=s,l=lot
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
वृत्तेः वृत्ति pos=n,g=f,c=6,n=s
कृपण कृपण pos=a,comp=y
लब्धायाः लभ् pos=va,g=f,c=6,n=s,f=part
अप्रतिष्ठा अप्रतिष्ठा pos=n,g=f,c=1,n=s
एव एव pos=i
ज्यायसी ज्यायस् pos=a,g=f,c=1,n=s