महाभारतम् — 5.47.36
Original
Segmented
यदा शिखण्डी रथिनः प्रचिन्वन् भीष्मम् रथेन अभियाता वरूथी दिव्यैः हयैः अवमृद्नन् रथ-ओघान् तदा युद्धम् धार्तराष्ट्रो ऽन्वतप्स्यत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
शिखण्डी | शिखण्डिन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
रथिनः | रथिन् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
प्रचिन्वन् | प्रचि | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
भीष्मम् | भीष्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
रथेन | रथ | pos=n,g=m,c=3,n=s |
अभियाता | अभिया | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
वरूथी | वरूथिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
दिव्यैः | दिव्य | pos=a,g=m,c=3,n=p |
हयैः | हय | pos=n,g=m,c=3,n=p |
अवमृद्नन् | अवमृद् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
रथ | रथ | pos=n,comp=y |
ओघान् | ओघ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
तदा | तदा | pos=i |
युद्धम् | युद्ध | pos=n,g=n,c=2,n=s |
धार्तराष्ट्रो | धार्तराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽन्वतप्स्यत् | अनुतप् | pos=v,p=3,n=s,l=lrn |