महाभारतम् — 5.44.3
Original
Segmented
धृतराष्ट्र उवाच अव्यक्त-विद्याम् इति यत् सनातनीम् ब्रवीषि त्वम् ब्रह्मचर्येण सिद्धाम् अनारभ्या वसति इह आर्य काले कथम् ब्राह्मण्यम् अमृत-त्वम् लभेत
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
धृतराष्ट्र | धृतराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
अव्यक्त | अव्यक्त | pos=n,comp=y |
विद्याम् | विद्या | pos=n,g=f,c=2,n=s |
इति | इति | pos=i |
यत् | यत् | pos=i |
सनातनीम् | सनातन | pos=a,g=f,c=2,n=s |
ब्रवीषि | ब्रू | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
ब्रह्मचर्येण | ब्रह्मचर्य | pos=n,g=n,c=3,n=s |
सिद्धाम् | सिध् | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
अनारभ्या | अनारभ्य | pos=a,g=f,c=1,n=s |
वसति | वस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
इह | इह | pos=i |
आर्य | आर्य | pos=a,g=m,c=8,n=s |
काले | काल | pos=n,g=m,c=7,n=s |
कथम् | कथम् | pos=i |
ब्राह्मण्यम् | ब्राह्मण्य | pos=a,g=n,c=2,n=s |
अमृत | अमृत | pos=a,comp=y |
त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
लभेत | लभ् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |