महाभारतम् — 5.44.12
Original
Segmented
एवम् वसन्तम् यद् उपप्लवेद् धनम् आचार्याय तद् अनुप्रयच्छेत् सताम् वृत्तिम् बहु-गुणाम् एवम् एति गुरोः पुत्रे भवति च वृत्तिः एषा
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
एवम् | एवम् | pos=i |
वसन्तम् | वस् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
यद् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
उपप्लवेद् | उपप्लु | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
धनम् | धन | pos=n,g=n,c=1,n=s |
आचार्याय | आचार्य | pos=n,g=m,c=4,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अनुप्रयच्छेत् | अनुप्रयम् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
सताम् | सत् | pos=a,g=m,c=6,n=p |
वृत्तिम् | वृत्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
बहु | बहु | pos=a,comp=y |
गुणाम् | गुण | pos=n,g=f,c=2,n=s |
एवम् | एवम् | pos=i |
एति | इ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
गुरोः | गुरु | pos=n,g=m,c=6,n=s |
पुत्रे | पुत्र | pos=n,g=m,c=7,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
च | च | pos=i |
वृत्तिः | वृत्ति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
एषा | एतद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |