महाभारतम् — 5.43.6
Original
Segmented
धृतराष्ट्र उवाच कथम् समृद्धम् अप्य् ऋद्धम् तपो भवति केवलम् सनत्सुजात तद् ब्रूहि यथा विद्याम तद् वयम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
धृतराष्ट्र | धृतराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
कथम् | कथम् | pos=i |
समृद्धम् | समृध् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
अप्य् | अपि | pos=i |
ऋद्धम् | ऋध् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
तपो | तपस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
केवलम् | केवल | pos=a,g=n,c=1,n=s |
सनत्सुजात | सनत्सुजात | pos=n,g=m,c=8,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
ब्रूहि | ब्रू | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
यथा | यथा | pos=i |
विद्याम | विद् | pos=v,p=1,n=p,l=vidhilin |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
वयम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=p |