महाभारतम् — 5.40.21
Original
Segmented
प्रज्ञा-वृद्धम् धर्म-वृद्धम् स्व-बन्धुम् विद्या-वृद्धम् वयसा च अपि वृद्धम् कार्य-अकार्ये पूजयित्वा प्रसाद्य यः संपृच्छेत् न स मुह्येत् कदाचित्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रज्ञा | प्रज्ञा | pos=n,comp=y |
वृद्धम् | वृध् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
वृद्धम् | वृध् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
स्व | स्व | pos=a,comp=y |
बन्धुम् | बन्धु | pos=n,g=m,c=2,n=s |
विद्या | विद्या | pos=n,comp=y |
वृद्धम् | वृध् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
वयसा | वयस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
च | च | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
वृद्धम् | वृध् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
कार्य | कार्य | pos=n,comp=y |
अकार्ये | अकार्य | pos=n,g=n,c=7,n=s |
पूजयित्वा | पूजय् | pos=vi |
प्रसाद्य | प्रसादय् | pos=vi |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
संपृच्छेत् | सम्प्रच्छ् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
न | न | pos=i |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मुह्येत् | मुह् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
कदाचित् | कदाचिद् | pos=i |