महाभारतम् — 5.40.1
Original
Segmented
विदुर उवाच यो ऽभ्यर्थितः सद्भिः असज्जमानः करोति अर्थम् शक्तिम् अहापयित्वा क्षिप्रम् यशः तम् समुपैति सन्तम् अलम् प्रसन्ना हि सुखाय सन्तः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विदुर | विदुर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽभ्यर्थितः | अभ्यर्थय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
सद्भिः | सत् | pos=a,g=m,c=3,n=p |
असज्जमानः | असज्जमान | pos=a,g=m,c=1,n=s |
करोति | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
शक्तिम् | शक्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अहापयित्वा | अहापयित्वा | pos=i |
क्षिप्रम् | क्षिप्रम् | pos=i |
यशः | यशस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
समुपैति | समुपे | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
सन्तम् | सत् | pos=a,g=m,c=2,n=s |
अलम् | अलम् | pos=i |
प्रसन्ना | प्रसद् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
हि | हि | pos=i |
सुखाय | सुख | pos=n,g=n,c=4,n=s |
सन्तः | सत् | pos=a,g=m,c=1,n=p |