Original

त्वं मां यथावद्विदुर प्रशाधि प्रज्ञापूर्वं सर्वमजातशत्रोः ।यन्मन्यसे पथ्यमदीनसत्त्व श्रेयस्करं ब्रूहि तद्वै कुरूणाम् ॥ २ ॥

Segmented

त्वम् माम् यथावद् विदुर प्रशाधि प्रज्ञा-पूर्वम् सर्वम् अजातशत्रोः यत् मन्यसे पथ्यम् अदीन-सत्त्व श्रेयस्करम् ब्रूहि तद् वै कुरूणाम्

Analysis

Word Lemma Parse
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
यथावद् यथावत् pos=i
विदुर विदुर pos=n,g=m,c=8,n=s
प्रशाधि प्रशास् pos=v,p=2,n=s,l=lot
प्रज्ञा प्रज्ञा pos=n,comp=y
पूर्वम् पूर्वम् pos=i
सर्वम् सर्व pos=n,g=n,c=2,n=s
अजातशत्रोः अजातशत्रु pos=n,g=m,c=6,n=s
यत् यद् pos=n,g=n,c=2,n=s
मन्यसे मन् pos=v,p=2,n=s,l=lat
पथ्यम् पथ्य pos=a,g=n,c=2,n=s
अदीन अदीन pos=a,comp=y
सत्त्व सत्त्व pos=n,g=m,c=8,n=s
श्रेयस्करम् श्रेयस्कर pos=a,g=n,c=2,n=s
ब्रूहि ब्रू pos=v,p=2,n=s,l=lot
तद् तद् pos=n,g=n,c=2,n=s
वै वै pos=i
कुरूणाम् कुरु pos=n,g=m,c=6,n=p