Original

अजातशत्रुस्तु विहाय पापं जीर्णां त्वचं सर्प इवासमर्थाम् ।विरोचतेऽहार्यवृत्तेन धीरो युधिष्ठिरस्त्वयि पापं विसृज्य ॥ १४ ॥

Segmented

अजातशत्रुः तु विहाय पापम् जीर्णाम् त्वचम् सर्प इव असमर्थाम् विरोचते अहार्य-वृत्तेन धीरो युधिष्ठिरः त्वे पापम् विसृज्य

Analysis

Word Lemma Parse
अजातशत्रुः अजातशत्रु pos=n,g=m,c=1,n=s
तु तु pos=i
विहाय विहा pos=vi
पापम् पाप pos=n,g=n,c=2,n=s
जीर्णाम् जृ pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
त्वचम् त्वच् pos=n,g=f,c=2,n=s
सर्प सर्प pos=n,g=m,c=1,n=s
इव इव pos=i
असमर्थाम् असमर्थ pos=a,g=f,c=2,n=s
विरोचते विरुच् pos=v,p=3,n=s,l=lat
अहार्य अहार्य pos=a,comp=y
वृत्तेन वृत्त pos=n,g=n,c=3,n=s
धीरो धीर pos=a,g=m,c=1,n=s
युधिष्ठिरः युधिष्ठिर pos=n,g=m,c=1,n=s
त्वे त्वद् pos=n,g=,c=7,n=s
पापम् पाप pos=n,g=n,c=2,n=s
विसृज्य विसृज् pos=vi