महाभारतम् — 5.30.17
Original
Segmented
वृन्दारकम् कविम् अर्थेषु अमूढम् महा-प्रज्ञम् सर्व-धर्म-उपपन्नम् न तस्य युद्धम् रोचते वै कदाचिद् वैश्यापुत्रम् कुशलम् तात पृच्छेः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वृन्दारकम् | वृन्दारक | pos=n,g=m,c=2,n=s |
कविम् | कवि | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अर्थेषु | अर्थ | pos=n,g=m,c=7,n=p |
अमूढम् | अमूढ | pos=a,g=m,c=2,n=s |
महा | महत् | pos=a,comp=y |
प्रज्ञम् | प्रज्ञा | pos=n,g=m,c=2,n=s |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
उपपन्नम् | उपपद् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
न | न | pos=i |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
युद्धम् | युद्ध | pos=n,g=n,c=1,n=s |
रोचते | रुच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
वै | वै | pos=i |
कदाचिद् | कदाचिद् | pos=i |
वैश्यापुत्रम् | वैश्यापुत्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
कुशलम् | कुशल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
तात | तात | pos=n,g=m,c=8,n=s |
पृच्छेः | प्रच्छ् | pos=v,p=2,n=s,l=vidhilin |