Original

आचार्यता मानिता मे निर्मर्यादे ह्यपि त्वयि ।भूयस्तु शृणु मे ब्रह्मन्संपदं धर्मसंग्रहे ॥ २३ ॥

Segmented

आचार्य-ता मानिता मे निर्मर्यादे हि अपि त्वयि भूयस् तु शृणु मे ब्रह्मन् संपदम् धर्म-संग्रहे

Analysis

Word Lemma Parse
आचार्य आचार्य pos=n,comp=y
ता ता pos=n,g=f,c=1,n=s
मानिता मानय् pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
निर्मर्यादे निर्मर्याद pos=a,g=m,c=7,n=s
हि हि pos=i
अपि अपि pos=i
त्वयि त्वद् pos=n,g=,c=7,n=s
भूयस् भूयस् pos=i
तु तु pos=i
शृणु श्रु pos=v,p=2,n=s,l=lot
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
ब्रह्मन् ब्रह्मन् pos=n,g=m,c=8,n=s
संपदम् सम्पद् pos=n,g=f,c=2,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
संग्रहे संग्रह pos=n,g=m,c=7,n=s