महाभारतम् — 5.132.30
Original
Segmented
जहि शत्रून् रणे राजन् स्वधर्मम् अनुपालय मा त्वा पश्येत् सु कृपणम् शत्रुः श्रीमान् कदाचन
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
जहि | हा | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
शत्रून् | शत्रु | pos=n,g=m,c=2,n=p |
रणे | रण | pos=n,g=m,c=7,n=s |
राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
स्वधर्मम् | स्वधर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अनुपालय | अनुपालय् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
मा | मा | pos=i |
त्वा | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
पश्येत् | पश् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
सु | सु | pos=i |
कृपणम् | कृपण | pos=a,g=m,c=2,n=s |
शत्रुः | शत्रु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
श्रीमान् | श्रीमत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
कदाचन | कदाचन | pos=i |