Original

स्वबाहुबलमाश्रित्य योऽभ्युज्जीवति मानवः ।स लोके लभते कीर्तिं परत्र च शुभां गतिम् ॥ ४२ ॥

Segmented

स्व-बाहु-बलम् आश्रित्य यो ऽभ्युज्जीवति मानवः स लोके लभते कीर्तिम् परत्र च शुभाम् गतिम्

Analysis

Word Lemma Parse
स्व स्व pos=a,comp=y
बाहु बाहु pos=n,comp=y
बलम् बल pos=n,g=n,c=2,n=s
आश्रित्य आश्रि pos=vi
यो यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽभ्युज्जीवति अभ्युज्जीव् pos=v,p=3,n=s,l=lat
मानवः मानव pos=n,g=m,c=1,n=s
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
लभते लभ् pos=v,p=3,n=s,l=lat
कीर्तिम् कीर्ति pos=n,g=f,c=2,n=s
परत्र परत्र pos=i
pos=i
शुभाम् शुभ pos=a,g=f,c=2,n=s
गतिम् गति pos=n,g=f,c=2,n=s