महाभारतम् — 5.131.14
Original
Segmented
मा ह स्म कस्यचिद् गेहे जनी राज्ञः खरी-मृद्वी कृत्वा मानुष्यकम् कर्म सृत्वा आजिम् यावद् उत्तमम् धर्मस्य आनृण्यम् आप्नोति न च आत्मानम् विगर्हते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मा | मा | pos=i |
ह | ह | pos=i |
स्म | स्म | pos=i |
कस्यचिद् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
गेहे | गेह | pos=n,g=n,c=7,n=s |
जनी | जनी | pos=n,g=f,c=1,n=s |
राज्ञः | राजन् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
खरी | खरी | pos=n,comp=y |
मृद्वी | मृदु | pos=a,g=f,c=1,n=s |
कृत्वा | कृ | pos=vi |
मानुष्यकम् | मानुष्यक | pos=a,g=n,c=2,n=s |
कर्म | कर्मन् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
सृत्वा | सृ | pos=vi |
आजिम् | आजि | pos=n,g=m,c=2,n=s |
यावद् | यावत् | pos=i |
उत्तमम् | उत्तम | pos=a,g=m,c=2,n=s |
धर्मस्य | धर्म | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आनृण्यम् | आनृण्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आप्नोति | आप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
न | न | pos=i |
च | च | pos=i |
आत्मानम् | आत्मन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
विगर्हते | विगर्ह् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |