Original

त्वद्वीर्यान्निहते वृत्रे वासवो ब्रह्महत्यया ।वृतः सुरगणश्रेष्ठ मोक्षं तस्य विनिर्दिश ॥ ११ ॥

Segmented

त्वद्-वीर्यात् निहते वृत्रे वासवो ब्रह्महत्यया वृतः सुर-गण-श्रेष्ठ मोक्षम् तस्य विनिर्दिश

Analysis

Word Lemma Parse
त्वद् त्वद् pos=n,comp=y
वीर्यात् वीर्य pos=n,g=n,c=5,n=s
निहते निहन् pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part
वृत्रे वृत्र pos=n,g=m,c=7,n=s
वासवो वासव pos=n,g=m,c=1,n=s
ब्रह्महत्यया ब्रह्महत्या pos=n,g=f,c=3,n=s
वृतः वृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
सुर सुर pos=n,comp=y
गण गण pos=n,comp=y
श्रेष्ठ श्रेष्ठ pos=a,g=m,c=8,n=s
मोक्षम् मोक्ष pos=n,g=m,c=2,n=s
तस्य तद् pos=n,g=m,c=6,n=s
विनिर्दिश विनिर्दिश् pos=v,p=2,n=s,l=lot