Original

गालव उवाच ।गरुत्मन्भुजगेन्द्रारे सुपर्ण विनतात्मज ।नय मां तार्क्ष्य पूर्वेण यत्र धर्मस्य चक्षुषी ॥ १ ॥

Segmented

गालव उवाच गरुत्मन् भुजग-इन्द्र अरि सुपर्ण विनता-आत्मज नय माम् तार्क्ष्य पूर्वेण यत्र धर्मस्य चक्षुषी

Analysis

Word Lemma Parse
गालव गालव pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
गरुत्मन् गरुत्मन्त् pos=n,g=m,c=8,n=s
भुजग भुजग pos=n,comp=y
इन्द्र इन्द्र pos=n,g=m,c=8,n=s
अरि अरि pos=n,g=m,c=8,n=s
सुपर्ण सुपर्ण pos=n,g=m,c=8,n=s
विनता विनता pos=n,comp=y
आत्मज आत्मज pos=n,g=m,c=8,n=s
नय नी pos=v,p=2,n=s,l=lot
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
तार्क्ष्य तार्क्ष्य pos=n,g=m,c=8,n=s
पूर्वेण पूर्व pos=n,g=n,c=3,n=s
यत्र यत्र pos=i
धर्मस्य धर्म pos=n,g=m,c=6,n=s
चक्षुषी चक्षुस् pos=n,g=n,c=1,n=d