महाभारतम् — 5.10.43
Original
Segmented
सो ऽन्तम् आश्रित्य लोकानाम् नष्ट-सञ्ज्ञः विचेतनः न प्राज्ञायत देवेन्द्रः तु अभिभूतः स्व-कल्मषैः प्रतिच्छन्नो वसति अप्सु चेष्टमान इव उरगः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सो | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽन्तम् | अन्त | pos=n,g=m,c=2,n=s |
आश्रित्य | आश्रि | pos=vi |
लोकानाम् | लोक | pos=n,g=m,c=6,n=p |
नष्ट | नश् | pos=va,comp=y,f=part |
सञ्ज्ञः | संज्ञा | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विचेतनः | विचेतन | pos=a,g=m,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
प्राज्ञायत | प्रज्ञा | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
देवेन्द्रः | देवेन्द्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तु | तु | pos=i |
अभिभूतः | अभिभू | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
स्व | स्व | pos=a,comp=y |
कल्मषैः | कल्मष | pos=n,g=m,c=3,n=p |
प्रतिच्छन्नो | प्रतिच्छद् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
वसति | वस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अप्सु | अप् | pos=n,g=n,c=7,n=p |
चेष्टमान | चेष्ट् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
इव | इव | pos=i |
उरगः | उरग | pos=n,g=m,c=1,n=s |